Saturday 27 January 2024

वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी ओम सिंह राजपुरोहित का जीवन परिचय

हेलो दोस्तों मैं शौर्य प्रताप (सवाई) सिंह राजपुरोहित जीवन परिचय की इस श्रृखला में मैं लेकर आया हूँ वरिष्ठ पत्रकार व समाजसेवी, राजपुरोहित समाज रत्न श्री ओम सिंह राजपुरोहित का जीवन परिचय वैसे यह शख्स किसी परिचय के मोहताज नहीं है आज इन्हें लाखो लोग जानते हैं आपने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज उत्थान से कई कार्यो को उजागर किया है आईए जानते हैं इनका संक्षिप्त में परिचय....

◆ नाम - श्री ओम सिंह राजपुरोहित

◆ पिताजी का नाम - श्री गोपाल सिंह राजपुरोहित

◆ गौत्र (उपजाति)- सेवड़ ◆ वर्तमान निवास - बिलाड़ा

◆ कार्य / व्यवसाय - राजस्थान पत्रिका, समाचार संपादक, पुणे

◆ रुचि - समाज सेवा और देश-दुनिया की जानकारी रखना।

◆ अब तक प्राप्त सम्मान / अवॉर्ड - राजपुरोहित समाज रत्न, राजस्थान पत्रिका के विशेष कॉलम कड़वा-मीठा सच के दो राज्य स्तरीय एवं तीन संभाग स्तर पर सर्वश्रेष्ठ लेखनी के पुरस्कार, रामनाथ गोयनका सर्वश्रेष्ठ पत्रकारिता पुरष्कार।

◆- वर्ष 1984 से राजस्थान पत्रिका में संवाददाता, सिरोही जिले के रेवदर से शुरुआत हुई, पश्चात वर्ष 1990 में बिलाड़ा पैतृक गाँव से रिपोर्टर पश्चात वर्ष 2000 में जोधपुर संस्करण में उप-संपादक पद पर कार्यरत, वर्ष 2019 में सेवानिवृति पश्चात पत्रिका के विशेष आग्रह पर पुणे कार्यालय प्रभारी एवं समाचार संपादक पद पर कार्यरत हूँ, इस दौरान कोरोना वायरस का स्टेन निकालने वाले डॉक्टर प्रभा अब्राहम से विशेष वार्ता, टीका निर्माण करने वाले सीरम इंस्टिट्यूट के निदेशक अदार पूनावाला से विशेष भेट वार्ता जो दुनिया का पहला इंटरव्यू माना गया हैं, इसके अलावा महाराष्ट्र की राजनीति, विधानसभा चुनाव कवरेज, देश में सर्वश्रेष्ठ कृषि करने वाले किसानो की उपलब्धियों के अलावा कई ऐतिहासिक कवरेज कर पत्रकारिता क्षेत्र को चौंकाया।

      राजस्थान पत्रिका के विशेष कॉलम कड़वा-मीठा सच के दो राज्य स्तरीय एवं तीन संभाग स्तर पर सर्वश्रेष्ठ लेखनी के पुरस्कार प्राप्त किये, इनके अलावा कर्पूरचन्द कुलिश द्वारा प्रारम्भ किये गए आओ गाँव चले की थीम पर 160 गाँवों की यात्रा कर वहां की कहानियां लिखी, पत्रकारिता के अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का प्रथम वर्ष प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा 1989 की पहली कारसेवा में अशोक सिंघल के साथ रहा, पश्चात अन्य सभी कारसेवा में भी भागीदारी रही, कारसेवको की हत्या के पश्चात विश्व हिन्दू परिषद् ने अयोध्या में 40 दिवसीय आंदोलन चलाया उसका दायित्व मेरे सहित दो अन्य साथी किशनगढ़ एवं मुंबई को सौपा तथा राम जानकी महल ट्रस्ट में आने वाले देश विदेश के उच्च अधिकारियो जिनमें हरिहर डालमिया, महंत अवैध्य नाथ, राजमाता विजया राजे सिंधिया, मोरो पंथ पिंगले, दत्तो पथ ठेगरी, महंत नृत्य गोपाल दास, रामचंद्र परम हंस, उमा भारती, साध्वी ऋतंबरा, शिवा सरस्वती, आचार्य धर्मेन्द्र, गिरिराज किशोर जैसे बड़े लोगो के नेतृत्व में प्रतिदिन देवरा बाबा की छावनी के मंच से इनका उद्धबोधन करा गिरफ़्तारी के ले जाने का दायित्व निभाया।

06 दिसंबर की कारसेवा के दौरान पत्रिका के लिए गोपाल शर्मा के साथ रिपोर्टिंग भी की। श्री राम मंदिर में कर सेवकों के योगदान के बारे में बताते हुए श्री राजपुरोहित का यह वीडियो आप देख सकते हैं राजपुरोहित समाज इंडिया यूट्यूब चैनल पर
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 सामाजिक क्षेत्र में ब्रह्मधाम आसोतरा में 7 वर्षो तक बिलाड़ा, भोपालगढ़ क्षेत्र से न्यासी के रूप में सेवाएं दी, इस दौरान बाडमेर-जैसलमेर क्षेत्र से सांसद पद के लिए भाजपा के जोगराज सिंह को टिकट दिया गया तो संपूर्ण न्यासियों के साथ प्रचार का कार्य किया। स्थानीय स्तर पर राजपुरोहित आश्रम समिति बिलाड़ा बाणगंगा तीर्थ धाम पर अध्यक्ष के रूप में सांसद कोष से कई निर्माण कार्य भी करवाएं।

      राजपुरोहित पंचायत समाज पुष्कर की और से वर्ष 2019 में समाज रत्न के रूप में अभिनन्दन पत्र देकर सम्मानित किया तथा जिला प्रशाषन एवं उपखण्ड स्तर पर भी समाज सेवा के कार्यो के रूप में प्रसस्ति पत्र प्राप्त किये गए हैं।

      राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के काल के दौरान उनकी उपलब्धियों को कीर्तिमान नाम की एक पुस्तिका जिसका विमोचन कभी वे स्वयं तो कभी उनके मंत्रिमण्डल के बड़े नेता करते रहे है|

 पत्रकारिता क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिए बिलाड़ा के वरिष्ठ पत्रकार श्री ओमसिंह राजपुरोहित को गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2024) के अवसर पर उपखण्ड मजिस्ट्रेट, पुलिस प्रशासन, नगर पालिका प्रशासन एवं राजस्व विभाग की ओर से प्रशस्ति पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। 

आप राजपुरोहित समाज इंडिया पर इससे संबंधित खबरों को विस्तार से पढ़ सकते हैं

https://rajpurohitsamaj-s.blogspot.com/2024/01/Omsinghrajpurohit.html

वरिष्ठ पत्रकार श्री ओम सिंह जी राजपुरोहित आप आगे भी समाज उत्थान व समाज क्षेत्र में इसी प्रकार कार्य करते रहें टीम सुगना फाऊंडेशन की ओर से बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं

अगर इस मंच पर आप भी अपना जीवन परिचय देखना चाहते हैं तो हमें लिख भेजिए हमारे व्हाट्सएप नंबर 9286464911 पर 

आपका शौर्य प्रताप सिंह राजपुरोहित मीडिया प्रभारी सुगना फाउंडेशन और आरोग्य मेला समिति

Saturday 3 June 2023

कवि एव साहित्यकार श्री रवि पुरोहित संक्षिप्त जीवन परिचय

 प्रिय मित्रों ,,,,, 

राजपुरोहित समाज की कला से जुड़ी हस्तियों के परिचय एवम उपलब्धियों की कड़ी मे आज हम कवि एवम साहित्यकार श्री रवि जी पुरोहित के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर लेकर आये है। कविराज का संक्षिप्त जीवन परिचय भाई नरपत सिंह हृदय द्वारा लिखित

साहित्य साधना के परम उपासक श्री रविजी पुरोहित की साहित्य क्षेत्र में एक विशिष्ट पहचान है ।

5 जून 1968 में जन्मे श्री रविजी बीकानेर जिले के श्री डूंगरगढ़ के निवासी है और हाल बीकानेर में राजस्थान सरकार अधीनस्थ लेखा सेवा में कार्यरत है ।

आपने महर्षि दयानंद सरस्वती विश्व विद्यालय अजमेर से 1989 में वाणिज्य स्नात्तक की डिग्री परीक्षा उतीर्ण की ,ततपश्चात 1991 में हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।  फिर वर्ष 2010 में आपने महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय बीकानेर से राजस्थानी भाषा मे एम. ए. की डिग्री उतीर्ण की ।

शोध सर्वे

मरुभूमि शोध संस्थान श्री डूंगरगढ़ में वर्ष 1989 से 1991 तक आप मानस शोध में सहायक रहे है ।

'चुरू अंचल रा लोक देवतावां अर लोक मान्यतावां ' इस विषय पर आपके शोध कार्य चालू है ।

साक्षरता के क्षेत्र में सरकारी एवम गैर सरकारी प्रयास में दशा एवम दिशा के लिए शिक्षा समाज और चेतना में आपकी शैक्षणिक परियोजना की भूमिका रही है। 

सदस्यता -

साहित्य अकादमी नई दिल्ली के राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के वर्तमान में आप सदस्य है । राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी बीकानेर की पांडुलिपि प्रकाशन सहयोग तदर्थ उप समिति का संयोजकीय दायित्व एवम सदस्यता रही वर्ष 2012 से 2014 तक ।

वर्ष 2006 से 2008 तक आप राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर की सरस्वती सभा के सदस्य रहे है। 

ASIA PACIFIC WHO*S WHO के आप पंजीबद्ध रचनाकार है ।

राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति श्रीडूंगरगढ़ के आप आजीवन सदस्य है और वर्तमान में इसके सयुंक्त मंत्री भी है ।

राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ , सार्वजनिक पुस्तकालय श्रीडूंगरगढ़ की आजीवन सदस्यता और प्रबन्ध समिति के पूर्व सदस्य भी है । 

लेखन -

प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में कहानी ,कविता , निबन्ध , व्यंग्य , आलोचना , लघुकथा , फीचर आलेख आदि का सन 1985 से लगातार प्रकाशन होता आ रहा है ।

आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों एवम दूरदर्शन तथा अन्य चैनलों पर आपकी विविध विधाओं की रचनाओं का प्रचुर प्रसारण होता रहता है।  

कई संपादित संकलनों में रचनायें संकलित है। 

प्रकाशन

चमगूंगो (1991) , हासियो तोड़ता सबद (1996) , राजस्थानी बाल कविता संगह 'तिरंगों' (2006) और उतरूँ उँडे काळजै''(2015) इत्यादि राजस्थानी कविता संग्रह प्रकाशित हो चुकी है ।

सेना के सूबेदार (2006) और 'आग अभी शेष है (2018) हिंदी कविता संग्रह का प्रकाशन। 

एक और घोंसला(1997)और धुले-धुले चेहरे (2015) हिंदी कहानी संग्रह का प्रकाशन तथा हिंदी व्यंग्य निबन्ध संग्रह "सपनों का सुख " का 2006 में प्रकाशन हो चुका है । 

काव्य संग्रह " उतरूँ उँडे काळजै " का हिंदी अंग्रेजी संस्कृत तथा पंजाबी में अनुवाद कर चुके है और गुजराती भाषा मे अनुवाद का कार्य जारी है ।

कुछ कविताओं का नेपाली उड़िया मराठी और बांग्ला भाषा मे भी अनुवाद हो चुका है। 

सम्पादन

'यादां रै आँगणीये ऊभा उणीयारा" (राजस्थानी रेखांचित संग्रह ) , आंखों में आकाश , राजस्थान शिक्षा विभाग के लिए बाल साहित्य संग्रह का 2012 में सम्पादन। 

उकळती ओकळ सूं उपज्या आखर , (श्री श्याम महर्षि री काव्य सिरजण समग्र ) । राजस्थली , लोक चेतना की राजस्थानी तिमाही का पिछले 25 वर्षों से प्रबन्ध प्रकाशन।  जागती जोत (राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर की मुख पत्रिका) का एक वर्ष तक सम्पादन । "हस्तक्षेप" ( साहित्यिक फोल्डर के चार अंको का सम्पादन ) 

एक दर्जन से अधिक अभिनंदन ग्रन्थों एवम स्मारिकाओं का सम्पादन। 

भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों ,राजस्थानी भाषा की एकेडमियों एवम कई प्रतिष्ठित एजेंसियों द्वारा आयोजित-प्रायोजित राष्ट्रीय , राज्य स्तरीय और आंचलिक समारोहों का आप संचालन कर चुके है । राजस्थान शिक्षाकर्मी का अनोपचारिक शिक्षा अनुदेशक आवासीय प्रशिक्षण शिविर का व्यवस्थापन । 

अनुवाद

जिओ मेरे साईंयां ,, (वीरसिंह की पंजाबी कृति ) का राजस्थानी अनुवाद ।

कैवती ही माँ , (युवा कवियित्री सुमन गौड़ की हिंदी कविताओं का राजस्थानी अनुवाद ) 

म्हनैं चांद चाइजै , ( साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा पुरस्कृत श्रीकांत वर्मा के चर्चित उपन्यास कृति) का राजस्थानी अनुवाद। 

कुछ तो बोल , (कवि श्याम महर्षि की राजस्थानी कृति ) का हिंदी अनुवाद।  

पुरस्कार और सम्मान - 

साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा जीवो म्हारा सांवरा (वीरसिंह की पंजाबी कृति) के लिए 'अनुवाद पुरस्कार 2016 ।

राजस्थान सरकार द्वारा उत्कृष्ट साहित्य लेखन के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार । 

राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर का " भगवान अटलानी युवा लेखन पुरस्कार । 

राजस्थानी भाषा साहित्य एवम संस्कृति अकादमी बीकानेर का " 

बावजी चतुरसिंह जी अनुवाद पुरस्कार ।

इसके अलावा आपको , मैथिलीचरण गुप्त युवा लेखन सम्मान, पीथळ पुरस्कार , महेंद्र जाजोदिया पुरस्कार , शब्दनिष्ठा सम्मान ,

दी यंग्स वेलफेयर सोसायटी रतनगढ़ द्वारा रामगोपाल गिरधारीलाल सर्राफ अलंकरण ।

सृजन सेवा संस्थान श्रीगंगानगर द्वारा साहित्यकार सम्मान ।

पंडित विद्याधर शास्त्री अवार्ड ।

त्रिलोक शर्मा स्मृति संस्थान श्रीडूंगरगढ़ द्वारा " संवाद सम्मान ।

इसके अलावा " साहित्य शिरोमणि सम्मान , ज्ञान श्री सम्मान , राजपुरोहित गौरव सम्मान । सहस्त्राब्दी हिंदी सेवी सम्मान । 

निम्बोळ का साहित्य साधक सम्मान। 

इनके अलावा भी विभिन्न संस्थाओं द्वारा आप को सम्मानित किया गया है। पत्रकारिता - दैनिक नवज्योति और दैनिक भास्कर के अलावा अन्य कई प्रतिष्ठित पत्रों के लिए मानव संवाद प्रेषण का कार्य । 

शोध

महाराजा गंगासिंह विश्व विद्यालय बीकानेर द्वारा " रवि पुरोहित रै काव्य मांय सामाजिक चेतना " विषय पर डॉ मदन सैनी के निर्देशन में और " सेना के सूबेदार काव्य में लोक चेतना " के विषय पर डॉ मेघराज शर्मा के निर्देशन में 2009 व 2010 में लघु शोध ।

साहित्य जगत में श्री रवि राजपुरोहित जी ने जो मुकाम स्थापित किये है वो वाकई राजपुरोहित समाज और राजस्थानी साहित्य के लिए गौरव करने योग्य है ।

राजपुरोहित समाज इंडिया पेज / ग्रुप श्री रविजी का सह्रदय से आभार एवं सम्मान करता है ।

जय श्री खेतेश्वर दाता री सा। 

अगर आप इस मंच पर किसी और का जीवन परिचय देखना चाहते हैं तो मुझे लिख भेजिए अपना जीवन परिचय हमारा व्हाट्सएप नंबर है 9286464911

मिलते हैं जीवन परिचय के अगली श्रंखला में किसी नए जीवन परिचय के साथ तब तक के लिए अलविदा आपका शौर्य प्रताप सिंह राजपुरोहित

Tuesday 23 May 2023

ब्रह्मपुत्र सेना के पूर्व अध्यक्ष परमेश्वर सिंह राजपुरोहित का जीवन परिचय

ब्रह्मपुत्र परमेश्वर सिंह राजपुरोहित का सेवा भाव एवं समर्पण अद्भुत.... शौर्य प्रताप सिंह राजपुरोहित 

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सब आशा करता हूं आप सब बहुत ही अच्छे होंगे । जीवन परिचय की इस श्रृखला में मैं लेकर आया हूं समाजसेवी पर  रक्तवीर ब्रह्मपुत्र सेना के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष भाई श्री परमेश्वर सिंह राजपुरोहित का जीवन परिचय वैसे यह शख्स किसी परिचय के मोहताज नहीं है आज इन्हें लाखो लोग जानते हैं जिन्होंने लाखों लोगों के जीवन को नया जीवनदान देने का बीड़ा उठाया हुआ है । रक्तदान केेे माध्यम से 
संक्षिप्त परिचय
 नाम :-  परमेश्वर सिंह राजपुरोहित 
पिताजी का नाम :- श्रीमान रतन सिंह राजपुरोहित 
गांव का नाम:-  बासड़ा
 जन्मदिन :-  29 फरवरी 1988

नागौर जिले के मकराना कस्बे के पास गांव बासड़ा से आने वाले परमेश्वर जी हाल कलकत्ता (प.बंगाल) में रहते है। सन 2012 में राजपुरोहित समाज के इसी मंच (rajpurohit samaj india पेज) द्वारा आपका जुड़ाव समाज बंधुओं से हुआ और समाज सेवा की विभिन्न गतिविधियों का आदान प्रदान होने लगा। इस दौरान राजपुरोहित समाज इंडिया के जरिये कई ऐसे मौके आये जब आपने समाज सेवा में अपना योगदान दिया ।

2014 के आते आते सोशल मीडिया के पटल से समाज बंधुओं का एक समूह तैयार हुआ और 9 नवम्बर 2014 में ब्रह्मधाम आसोतरा की पुण्य धरा से ब्रह्मपुत्र सेना का गठन हो गया । जिसके आप सर्व सहमति से प्रथम अध्यक्ष चुने गए ।
हजारों बन्धु जुड़ रहे थे तो सैकड़ों लोगों का विरोध भी था , राहें मुश्किल थी लेकिन इरादे अटल थे । समाज के मंचो पर ब्रह्मपुत्र सेना ने कई गंभीर मुद्दों को उठाया । सेवा की कई कार्यों में सम्मिलित होने लगे ।
उनमें से जो महत्वपूर्ण मुहिम शुरू हुई वो थी रक्तदान महादान ।
परमेश्वर जी के साथ ऐसे हजारों बन्धु है जिन्होंने ब्रहपुत्र ब्लड बैंक के नेटवर्क को आगे बढाया ।  कुछ ही वर्षों में इस मुहिम का नेटवर्क पूरे देश मे इतना बड़ा हो गया कि , कहीं भी किसी व्यक्ति को रक्त की जरूरत पड़ती और ये सूचना ब्रहपुत्र सेना के पास पहुंचती तो अगले एक घण्टे में रक्तदाता वहां हाजिर हो जाता या अन्य विकल्प द्वारा रक्त की व्यवस्था हों जाती ।
रक्तदाताओं के इस नेटवर्क का ना ही कहीं प्रचार किया गया ना ही कहीं दिखावा । शांत स्वभाव में रक्तवीरों के नेटवर्क को इतना बढ़ा दिया कि आज कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अपने मंचो पर सम्मानित करने के लिए बुलाने लगी है ।

हजारों जिंदगियो को नया जीवनदान देकर रक्तदान की इस मुहिम के मुख्य सूत्रधार रहे परमेश्वर जी को अंतरराष्ट्रीय रोड सेफ्टी एवम ट्रामा सेंटर बीकानेर के हेड डॉ मेवासिंह , जयपुर ट्रामा सेंटर के हेड राजपाल जी यादव व मुम्बई के रक्तवीर अजीत रहाणे जी द्वारा रक्तदान की मुहिम में अभूतपूर्व योगदान के लिए आपको बीकानेर में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सम्मानित किया जा चुका है । 
कर्मवीर एन आर सी फॉउंडेशन जयपुर की डॉक्टर निशा माथुर जी द्वारा भी आपको रक्तदान की इस क्रांति को बढाने के लिए सम्मानित किया जा चुका है ।

लखनऊ के एन आर सी फॉउंडेशन की ओर से कवयित्री मृदुला जी द्वारा रक्तवीर के रूप में आपको सम्मानित किया जा चुका है । 
आने वाली 15 अप्रेल 2020 को रोड सेफ्टी एवम ट्रामा मैनेजमेंट मुंबई की मुहिम त्वचादान-महादान को आगे बढ़ाने में योगदान के लिए आपको सम्मानित किया जाएगा ।
अभी हाल ही में दोहा से उड़ीसा के एक पैरालिसिस पीड़ित युवा को भारत लाने की विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए उड़ीसा एवम प.बंगाल की दर्जनों सेवा संस्थाओं के जरिये आपने मदद की । 
उसके लिए आपको उड़ीसा के राज्यपाल द्वारा सम्मानित करने का बुलावा आया चुका है। 

इसके अलावा आप "मदद फॉउंडेशन " जैसी कई संस्थाओ के सदस्य हैं जो गरीब एवम असहाय लोगों की मदद करती है , उनकी बेटियों की शादी के लिए धनराशि प्रदान करती है । 

सिवाना में श्री खेतेश्वर जयंती 2015
आप अब तक कई सामाजिक सेवा संस्थान द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं अब आगे भी इसी प्रकार समाजसेवी कार्यों से जुड़े रहेंग और लोगों के हितों के रक्षक के लिए सदैव आगे आते रहेंगे ऐसी मैं आशा करता हूं

बन्धुओ आप भी इस मुहिम के साथी बने एवम सेवा में योगदान देवें । 
रक्तवीर राजपुरोहित, हरदम अर हरमेश । 
सेवा वाळे साथ मे, परथक नह परमेश ।। 

चलते चलते यह 4 लाइनें.....
गलत का विरोध खुलकर कीजिए, 
चाहे राजनीति हो या समाज, 
इतिहास टकराने वालो का लिखा जाता हैं 
तलवें चाटने वालों का नहीं..

आपका 
कवि नरपत सिंह राजपुरोहित हृदय बावड़ी कला

अगर आप इस मंच पर किसी और का जीवन परिचय देखना चाहते हैं तो मुझे लिख भेजिए अपना जीवन परिचय हमारा व्हाट्सएप नंबर है 9286464911

मिलते हैं किसी ओर जीवन परिचय के साथ तब तक के लिए चलते हैं आपका शौर्य प्रताप उर्फ सवाई सिंह राजपुरोहित 
एस एम सीरीज 3

Monday 12 September 2022

श्री श्री 1008 पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज सिरेमन्दिर दसवीं पुण्यतिथि 2022 पर विशेष

राजा भरथरी वैराग पंथ में नाथसंप्रदाय के महान योगिराज शिव अवतार ब्रह्मलीन योगेश्वर श्री जलन्धरनाथजी पीठ सिरेमंदिर के पीठाधीश श्री श्री 1008 पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज जालौर

पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज का जन्म गाँव भागली पिता रावतसिंहजी एवं माँ श्री सिणगार कंवर के आँगन में हुआ था, जिनका नाम ओटसिंह रखा जिन्हें दुनिया आज पीरजी बावसी के नाम से जानती है ।

● जन्म - 29 जनवरी 1940 , वि. सं. 1996 माघ कृष्ण पक्ष पंचमी सोमवार

● दिक्षा - 1 नवम्बर 1954 , वि. सं. 2011 शुक्ल पक्ष पंचमी सोमवार


● पिठाधीश आसीन 28 अक्टूबर 1968 , वि. सं. 2025 कार्तिक शुक्ला सप्तमी सोमवार 


● देवलोक गमन - 1 अक्टूबर 2012 , वि. सं. 2069 आसोज वदी प्रतिपदा सोमवार


● गुरू - श्री श्री 1008 श्री केशरनाथजी महाराज 


बावसी ने अपने जीवन काल में अनेक भक्तो को पर्चे ( समत्कार ) दिये वही सबसे बड़ा समत्कार सोमवार का शुभ दिन है ।

रावतसिंह जी ने अपने इस पुत्र की अत्यन्त शान्त, सोम्य एवं साधु पृकृति, अन्तरीय प्रेरणा देखकर इनको श्री केशरनाथजी के चरणों में समप्रित कर दिया, यह बात वि. सं. 2007 की है, महज 10 वर्ष की की अल्प आयु में उन्होंने" योगीराज श्री केशरनाथजी महाराज के चरणों का आश्रय पा लिया, ओटसिंह का दृढ आस्था मधुर स्वभाव समर्पित सेवा तथा शान्त चित देखकर योगमुर्ति श्री केशरनाथजी महाराज उनसे बहुत प्रसन्न हो गये, फलतः वि. सं. 2011 को सिरेमन्दिर पर वेश देकर ओटसिह को दीक्षीत किया और उनका नाम शान्तिनाथ रख दिया ।

जेष्ठ गुरूभाई एवं सिरेमंदिर के पिठाधिश्वर श्री भोला नाथजी महाराज के देवलोक गमन के उपरान्त वि. सं. 2025 को श्री श्री 1008 श्री शान्तिनाथजी महाराज का इस गोरवशाली जलंधरपीठ सिरेमन्दिर पर पीठाधिश्वर के रूप में गादी तिलक हुआ ।

पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज ने अपने जीवन काल में जालौर जिले के कई गाँवो में जगह जगह पर मंदिरों का निर्माण करवाया, और सिरेमंदिर, भेरुनाथजी का अखाडा तथा चित्तहरणी पर तो इतना निर्माण कार्य करवाया जिसका कोई वर्णन ही नही है, इसके अलावा जोधपुर और गुजरात में भी कई मंदिरों का निर्माण करवाया, इसके लिए इन्हे विश्वकर्मा भी कहा गया है ।

जालौर में राठौडों की कुलदेवी नागणेश्वरी माताजी का भव्य मन्दिर और प्रवेश द्वार का निर्माण भी उनके द्वारा ही किया गया है, बावसी ने अपने जीवन काल में 32 चतुर्थमार्च किये है, कुम्भ मेले पर भी बावसी की असीम कृपा रही है, बावसी को पीर की पदवी कुंभ मेले से प्राप्त है, बावसी को पीर परम् पद की पदवी अपने कठोर तपोबल एवं समत्कारों के कारण प्राप्त थी ।

पीरजी बावसी ने सदैव जन-हीत को वरीयता दी और वही किसी ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, छोटे-मोटे, जात-पात के भेद भाव को भूलकर एक धर्म का सन्देश देते रहे, वे अदभूत तृतिय दर्शी व्यक्ति के धनी होने के साथ साथ में नाथ परम्परा के भी बड़े जानकार थे, उन्होंने हमेशा अपने भक्तों पर दया दृष्टि बनाये रखी, और अपने भक्तों का दुःख निवारण करते रहे, स्वयं मेरे परिवार पर बावसी की अनुकम्पा अमृत वर्षा बनकर वर्षी है, नाथजी बावसी को सादर प्रणाम

पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज ज्यादातर मौन ही रहते थे, कम ही बोलते थे,परन्तु उनका चिर मौन टुटता तो उनकी मधुर एवं दिव्य वाणी अर्मृत वर्षा से कम नही होती थी, गुरु महाराज श्री शांतिनाथजी महाराज, नाथसंप्रदाय के नाथजी कोमी एकता की मिशाल थे ।

पीरजी बावसी श्री शान्तिनाथजी महाराज भगवान् शिवजी के अवतार माने जाते है, उन्हीने अपने भक्तो को कई समत्कार दिये, उनकी चरण में कोई भी दुःख दर्द लेकर जाता था, उसका निवारण करते थे, जिसने भी सच्चे मन से बावसी की भक्ति की है, वो सुखी है ।

श्री शान्तिनाथजी महाराज हिन्दू, मुस्लिम सभी धर्म के लोगों को आदर भाव देते थे, लोग इन्हें पीरजी बावसी के नाम से सम्बोधित करते है, वो किसी एक जाती के गुरु नही है, बल्कि सभी जाती समुदाओं के गुरु है, उनकी पूजा घर घर में होती है, आज भी इनकी समाधी पर जाने से मनोकामनाये पूर्ण होती है


1 अक्टूबर 2012 सोमवार को उन्होंने अपना शरीर छोड दिया, लेकिन साथ ही छोड गये अपनी जन-मन में कभी भी नही मिटने वाली अमिट छाप, बावसी की दसवी पुण्यतिथि दिनांक 11 सितंबर 2022, आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा रविवार को है, गुरु महाराज की समाधि श्री जलन्धर नाथपीठ सिरेमंदिर जालौर के प्रांगण में स्थित है, पीरजी बावसी की पुण्यतिथि हिन्दू पंचांग के अनुसार तिथि आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को मनाई जाती है ।


✍️ भंवरसिंह भागली

Thursday 19 May 2022

वीर झुंझार वीर बापजी दामोदरजी का संक्षिप्त जीवन परिचय

वीर झुंझार वीर बापजी दामोदरजी का जन्म ग्राम- सांथू जिला-जालोर में सांथू के पालीवाल जागीरदार धीराजी सांथुआ के पुत्र रूप में हुआ था.. इनका विवाह सेवड़ राजपुरोहित गंगाधर जी रघुनाथजी की धर्मपरायण पुत्री दाड़म कुंवर के साथ हुआ था.!

वि. सं. 1609 के कार्तिक माह में जालोर राज्य एवं सिरोहीv पर, गायो-मवेशियों के इधर से उधर घास चरने को लेकर प्रायः छोटा-बड़ा लड़ाई-झगड़ा होता रहता था..! एक बार बात बढ़ जाने से दोनों ओर की सेना लड़ पड़ी और सिरोही राज्य की रक्षा में आए 72 बोड़ा चौहान सैनिक जालोर की सेना ने मार गिराए ! इसी संघर्ष में जालोर के 17 सोलंकी सैनिक सिरोही के सैनिको ने मार गिराए ..!

जब विवाद बहुत बढ़ने लगा तो दोनों शासनाध्यक्षो ने शांति वार्ता प्रारम्भ कर सांथू के जागीरदार धीराजी सांथूआ को यह विवाद शांतिपूर्ण सुलझाने हेतु सुपुर्द करने का निश्चय किया...!

दोनों राज्यो के दूत सांथू कोटड़ी पहुंचे तब वहां धीराजी बाहर गए हुए थे एवं उनके पुत्र कुंवर दामोदरजी वहां थे...ऐसा देख दूत निराश हो गए क्योंकि इस विवाद से अब बाहर कौन निकाले?

मनोस्थिति भांप दामोदरजी ने दूतों को बताया कि ऐसा क्या कार्य है...मैं पिताश्री की अनुपस्थिति में यथासम्भव प्रयास कर सकता हूँ..!

सीमा निरीक्षण पश्चात लोगो से बातचीत की और मन-ही-मन किसी निर्णय पर पहुंच गए तब दोनो पक्षकारों में से कुछ धीराजी की अनुपस्थिति में दामोदर जी निर्णय उचित मानने में आनाकानी करने लगे..!

इस पर वीर दामोदर जी ने दोनों पक्षो को सचेत करिये हुए कहा कि मेरा निर्णय मान्य करना ही होगा अन्यथा या सर्वनाश होगा..! 

मैं अपने बलिदान से यह सिद्ध कर दूंगा कि इस निर्णय हेतू मैं योग्य हूँ...अपनी मातृभूमि, गौमाता की रक्षा हेतू अपना अग्निस्नान करता हूँ...!

ऐसा कहकर वे अपने शरीर पर तेल सिंदूर डालकर अपने घोड़े पर अग्नि के तेज से चढे और अग्नि में प्रविष्ट हुए और चेताया कि अब जहां मेरे चीथड़े गिरे वही दोनों राज्यो की सीमा होगी....और फिर घोडा दौड़ा दिया...!

आग की लपटों से उस वीर के शरीर के अंग अग्निस्नान कर के जहां-जहां गिरे वह सीमा मान ली गई...!!

उनके इस शौर्य,बलिदान को देखने पुरे गाँव के गाँव उमड़ पड़े....पूरा जालोर एवं सिरोही राज्य राजपुरोहित दामोदरजी के बलिदान को नतशिर होकर नमन करने लगा..!

इस प्रकार तेलीया वागा धारण कर, झमर जलिया वीर झुंझार बापजी ने कैलाशनगर-मणादर और मेडा के बीच  शरीर त्याग दिया...! उसी स्थान पर वीर बावजी झुंझार दामोदरजी का स्मारक बना दिया..! वह सैकड़ो वर्षो से पूजित स्थल है...!

जब उन झुंझार जी ने पराक्रम कर अमरत्व प्राप्त किया और सन्देश अभी सांथू पहुंचना था उसी समय उनकी धर्मपत्नी को स्वतः ही ज्ञान हो गए एवं ऐसी आदर्श पत्नी ने प्राण त्याग दिए....उनका भी पाषाण विग्रह सांथू में मौजूद है...!

उन दिनों (करीब पौने पांच सौ वर्ष पूर्व) दोनों राज्यो की सरकार ने करीब 10 फ़ीट वर्गाकार के पक्के पत्थरो से निशान बनाकर पिलर निर्मित किये और ज़मीन में नीचे आ जाने से अभी 35-40 वर्ष पूर्व सिरोही एवं जालोर के जिलाधीशों ने नए पिलर उन्ही निशानों पर पुनः खड़े करवाए है जो आज भी दोनों जिलों की सीमाएं मानी जाती है...!

उनके मंदिर पर भक्त दर्शन हेतु आते रहते है... इनका मंदिर मेडा उपरला में मौजूद है....जिसका समस्त क्षेत्रवासी दर्शन लाभ लेते है!

अपने शौर्य से दो राज्यो के बीच शांति स्थापित करने के लिए राजपुरोहित झुंझार दामोदर जी के प्रति हम सब कृतज्ञ है..!


साभार- युग युगीन पाली राज्य का इतिहास-हरिशंकर जी 

स्रोत:- विक्रम सिंह लेटा के वाल से प्राप्त जानकारी

Sunday 12 September 2021

डॉ मदन प्रताप सिंह राजपुरोहित का जीवन परिचय

आप सभी महानुभावों को जय श्री रघुनाथ जी री जय श्री खेतेश्वर महाराज की जीवन परिचय की अगली कड़ी मैं आपके साथ लेकर आया हूं सामाजिक कार्यकर्ता, समाजसेवी और मेरे बड़े भाई व मेरे मार्गदर्शन डॉ एम.पी सिंह राजपुरोहित महासचिव (सुगना फाउण्डेशन मेघलासियां) का जीवन परिचय आइए पढ़ते हैं उनकी जीवन पर यह विशेष पोस्ट 
      चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी कड़ी मेहनत और लगन और सेवा से चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं डॉ एम.पी सिंह राजपुरोहित मरीजों की सेवा भाव के कारण आज डॉ राजपुरोहित आगरा ही नहीं अपितु दूर-दराज के क्षेत्रों में भी चर्चित है।

      प्राकृतिक चिकित्सा जगत में जाना माना नाम है डॉ एम पी सिंह राजपुरोहित जनता की सेवा करना है लक्ष्य जीवन का.....

    डॉ मदन प्रतापसिंह राजपुरोहित का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है डॉ राजपुरोहित ने अपनी मेहनत की वजह से चिकित्सा के क्षेत्र में एक अनोखी मिसाल कायम की है आमजन की सेवा ही उनके लिए सबसे बड़ी सेवा है बतौर प्राकृतिक चिकित्सक अपने मरीजों से भावनात्मक जुड़ाव रखने वाले डॉ राजपुरोहित का नाम ही उनकी पहचान का वजूद है अपने मरीजों को सेहतमंद जीवन देना ही उनके जिंदगी का उद्देश्य है उनकी जीवन संगिनी श्रीमती रेखा राजपुरोहित जोकि हाउसवाइफ है  और बड़े भाई श्रीमान एसपी सिंह राजपुरोहित सुगना फाउंडेशन उपाध्यक्ष जिन्होंने डॉ एमपी सिंह को आगे बढ़नेेे में काफी सहयोग किया। 


 बचपन से ही रहे मेधावी छात्र 
बचपन से ही डॉ मदन प्रताप सिंह मेधावी छात्र रहे हैं वह जोधपुर राजस्थान के एक छोटे से गांव मेघलासिया में जन्म लिया और प्रारंभिक शिक्षा जोधपुर से ली तत्पश्चात आगरा आए 10वीं ,12वीं, पोस्ट ग्रेजुएशन तक अपनी पढ़ाई आगरा एवम् मेघालय में पूर्ण की आपने अपनी शिक्षा काल के दौरान कई पुरस्कार प्राप्त किए जिनमें प्रतिभावान छात्र का पुरस्कार साथ ही जिला और राज्य स्तर पर भी आपने कई सम्मान हासिल किए पढ़ाई पूरी करने के बाद आपने प्राकृतिक चिकित्सा अपनी जिज्ञासा को पूरा करने के लिए आपने जोधपुर, जयपुर और महाराष्ट्र से सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स किया और यहीं से प्राकृतिक जगत में उनकेे सफर की शुरुआत हुई और आपने द बोर्ड हेम्स ओसिया एजुकेशन संस्थान राजस्थान साल 2008 में ज्वाइन किया और बृज क्षेत्र में अच्छेेेे और एक प्रतिष्ठित चिकित्सक की तरह सेवा करने के लिए उन्होंने एक निजी क्लीनिक की नींव रखेगी आखिरकार उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा जगत में खुद के व्यक्तित्व को खास बनाया। 

सेवा में सहयोगी बना परिवार

डॉ एम पी सिंह बताते हैं मेरी पूज्य माता जी स्वर्गीय श्रीमती सुगना राजपुरोहित सत प्रेरणा से ही मुझे सामाजिक सेवा कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पूज्य माताजी स्मृति में 2000 से अधिक मानव सेवा के लिए चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया। 1 सितंबर 2008 को पूज्य माता जी का स्वर्गवास हो गया उन्हीं की याद में परिवार ने सुगना फाउंडेशन मेघलासिया की स्थापना की आज हम उतर भारत में इसी बैनर तले कई चिकित्सा शिविर और मानव उत्थान की योजनाओं के साथ स्कूली बच्चों की शिक्षा समग्री का वितरण भी करते हैं और उन्हीं की प्रेरणा से डॉ राजपुरोहित का समाज के प्रति समर्पण सराहनीय है परिवार का विशेष योगदान बताते हैं जिसमें पिताजी ठा. श्री बीरम सिंह और बड़े भाई श्री एसपी सिंह राजपुरोहित का हमेशा ही सहयोग मिलता रहा है। जिन्होंने हमेशा डॉ राजपुरोहित को आगे बढ़ने में और कभी ना हार मानने की प्रेरणा दी । आप वर्तमान में भी कई सामाजिक संस्थाओं के साथ जुड़े हुए हैं वहां पर भी अपनी सामाजिक सेवाएं दे रहे हैं आप 24 घंटे में 15 घंटे काम करते हैं और मेडिटेशन और योग के जरिए खुद को भी संयमित और सेहतमंद रखते हैं रेगुलर एक्साइज उनकी दिनचर्या में शामिल है। 


प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आप हमेशा शहरी, ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क चिकित्सा शिविर और ऑनलाइन के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का सदैव प्रयास करते रहते हैं । आप वर्तमान समय में जब पूरे विश्व भर में कोविड-19 से जनजीवन अस्त व्यस्त हैं और इस वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से हर कोई प्रभावित हैं साथ ही लोग डरे हुए हैं आप ऑनलाइन क्लास के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहे हैं इस बीमारी के प्रति व अपने संस्थान के बैनर तले माक्स व सैनिटाइजर का निशुल्क एवम लागत मूल्य पर वितरण भी कर रहे हैं। आपने कोरोना की प्रथम लहर में भी सामाजिक दायित्व बखूबी निभाया और दूसरी लहर में भी आप हर संभव प्रयास कर रहे हैं लोगों को जागरूक करने की ओर वैक्सीनेशन के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं जो वाकई काबिले तारीफ है

आइए डॉ राजपुरोहित का पारिवारिक संचित परिचय जानते हैं 

नाम:-  डॉ मदन प्रताप सिंह सुपुत्र श्रीमान बिरम सिंह राजपुरोहित
जन्म तिथि :- 12 सितंबर 1985
एजुकेशन :- एम.कॉम, बीएएमटी, डीएनवाईएस, एमडी (ए.मेडी.) (प्राकृतिक चिकित्सा)
 पत्नी का नाम :- श्रीमती रेखा राजपुरोहित (हाउस वाइफ)
बेटी :- अनाया और राधिका
गांव:- मेघलासिया,जिला जोधपुर
हाल :- आगरा, उत्तर प्रदेश

राष्ट्रीय महासचिव:- सुगना फाउंडेशन इंडिया
आगरा मंडल कोऑर्डिनेटर:- योगा स्पोर्ट्स एसोसिएशन, लखनऊ
संयोजक:- भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ महानगर आगरा
 इन चिकित्सा पद्धतियों के विशेषज्ञ हैं डॉ राजपुरोहित 
प्राकृतिक चिकित्सा, एक्यूप्रेशर, सुजोक, योगा व रेकी आदि।

 डॉ राजपुरोहित का क्लीनिक का पता 
710, सेक्टर 7, AVC, बोदला सिकंदरा, आगरा 
समय प्रातः 8:00 बजे से 12:00 बजे तक 
और शाम 6:00 से रात्रि 9:00 बजे तक 
मोबाइल नंबर 9219666141

अगर आप भी अपना जीवन परिचय हमारे इस पोर्टल पर प्रकाशित कराना चाहते हैं तो मुझे हिंदी या इंग्लिश में लिखकर जरूर भेजें हमारे व्हाट्सएप नंबर पर हमारा व्हाट्सएप नंबर है 92864 - 64911
 तो देर किस बात की साथ में भेजिएगा अपना फोटो।

Monday 24 August 2020

शहीद शिवराम हरि राजगुरु राजपुरोहित का संक्षिप्त जीवन परिचय

 जीवन परिचय के इस श्रंखला में समाज के ऐसे महान पुरुष का जीवन परिचय हम लेकर आए हैं जिन्हें आप सभी भली-भांति जानते हैं जी हां हम बात कर रहे हैं शहीद राजगुरु की आइए जानते हैं उनका संक्षिप्त परिचय आज उनके जन्मदिवस पर विशेष .....


राजगरू जी की जन्म जयंती पर शत्-शत् नमन्

आजादी रो एक दीवानों शिवराम हरि राजगुरु जपुरोहित जिनका पैतृक गाँव अजारी जिला सिरोही_है

 नाम= शिवराम हरि राजगुरु राजपुरोहित

उप नाम=रघुनाथ, एम.महाराष्ट्र

जन्म स्थान=पुणे, महाराष्ट्र, ब्रिटिश भारत

जन्म तिथि =24 अगस्त, 1908

मृत्यु तिथि= 23 मार्च, 1931

 मृत्यु मात्र= 22 वर्ष

मृत्यु स्थान =लाहौर, ब्रिटिश भारत, (अब पंजाब, पाकिस्तान में)

माता का नाम=पार्वती बाई

पिता का नाम=हरि नारायण

कुल भाई बहन दिनकर (भाई) और चन्द्रभागा, वारिणी और गोदावरी (बहनें)

जाति (Caste) Brahman Rajpurohit

शहीद भगत सिंह का नाम कभी अकेले नहीं लिया जाता, उनके साथ राजगुरु और सुखदेव का नाम भी बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। जी हां शिवराम हरि राजगुरु राजपुरोहित जो महाराष्ट्र के खेड़ा ग्राम में रहने वाले थे। इनका पैतृक गाँव अजारी है जिन्होंने भारत माता को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने वाले अंग्रेजों के एक पुलिस अधिकारी को मार गिराया था। और भगत सिंह व सुखदेव के साथ ही उन्हें 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई थी। 

Is Se Juda Hua video Rajpurohit Samaj India hai YouTube channel per dekh sakte hai

 आप के बलिदान को समाज कभी नहीं भूल पाएगा.... आप को शत-शत नमन और सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता है सुगना फाउंडेशन राजपूत समाज इंडिया टीम