Sunday 21 May 2017

आकाश राज पुरोहित – राजनीति के आकाश पर नई पीढ़ी का नया नेतृत्व

           (शताब्दी गौरव विशेष)

चाणक्य ने चंद्रगुप्त से कहा था कि राजनीति में यदि आपका प्रतिनिधि युवा है, स्वस्थ है, समर्थ है, सेवाभावी है एवं सकारात्मक सोचवाला है, तो आपकी सारी समस्याओं का निदान हो गया समझो। चंद्रगुप्त का यह नीतिगत परामर्श मुंबई की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी के युवा नेता आकाश राज पुरोहित पर जस का तस लागू होता है। आकाश युवा अवस्था में है, शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ है, राजनीतिक रूप से समर्थ है, उनके मन में समाज की सेवा का भाव भी है तथा वे सदा से ही सकारात्मक सोचवाले नेता के रूप में विख्यात हैं। किसी भी नेता के लिए चाणक्य प्रदत्त इन सारे अत्यावश्यक गुणों के अलावा आकाश राज पुरोहित में मिलनसारिता, व्यवहारकुशलता, कर्मठता, ईमानदारी और संगठन क्षमता होने के साथ साथ लक्ष्य पर लगातार नजर रखने जैसे कुछ और भी विशेष गुण हैं, जिनके जरिए वे राजनीति में स्थापित तो बहुत पहले ही हो चुके हैं, लेकिन अब राजनीति के आकाश पर चमकने को भी तैयार है। आकाश राज पुरोहित बीजेपी के नए युग में, नए जमाने की, नई पीढ़ी के, नए नेतृत्व की, नई पौध हैं। अब आनेवाले वक्त में बीजेपी इन्हीं नेताओं के सहारे आगे बढ़ेगी। किसी परिपक्व राजनेता की तरह आकाश राज पुरोहित बातचीत में काफी सधे हुए एवं गंभीर लगते है। बहुत सम्हल कर बोलते हैं और उतना ही बोलते हैं जितने में काम चल जाए। उनसे जब पूछा कि राजनीति में तो लोग बहुत बोलते हैं, आप कम बोलेंगे, तो कैसे चलेगा। इसके जवाब में ने उन्होंने जो कहा वह वास्तव में चिंतन करनेवाली बात है। आकाश बोले – मेरे बोलने से क्या होगा, मेरा काम बोलना चाहिए। मैं मानता हूं कि ज्यादा बोलने से हम भटक जाते हैं। जबकि कम बोलने से हम लक्ष्य से नहीं भटकते। मेरा ध्यान मूल रूप से सिर्फ लक्ष्य पर रहता है। मैं जनता के काम करने पर ध्यान लगाए हुए हूं। आकाश राज पुरोहित के बारे में एक लाइन में कहा जाए, तो वर्तमान समय में राजनीति में जिस तरह की सोचवाले युवा लोगों की जरूरत है, वे उन्हीं में से एक है। आनेवाला वक्त इसी पीढ़ी का है।

मुंबई में बीएमसी के चुनाव है, और दक्षिण मुंबई की जनता भारतीय जनता पार्टी के इस युवा नेता के सेवा कार्यों से जिस तरह से प्रभावित है, वह अब कोई नई बात नहीं रही। सो, जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए आकाश राज पुरोहित भी बीएमसी के चुनाव मैदान में हैं। वर्तमान युग में राजनीति के द्वारा समाज की सेवा करने के लिए जिस तरह के युवा नेता की आवश्यकता है, उसमें आकाश राज पुरोहित पूरी तरह से फिट है। क्योंकि बीजेपी के दिग्गज नेता राज के पुरोहित के बेटे आकाश राज पुरोहित के साथ भारतीय जनता पार्टी की पूरी लीडरशिप हर तरह के सहयोग के लिए हमेशा से तैयार खड़ी है। वास्तव में देखा जाए तो आकाश के पिता राज के पुरोहित मुंबई की राजनीति में एक बहुत बड़ा नाम है। राजनीति में उनका मान सम्मान भी है। लेकिन आकाश विरासत की राजनीति के बल पर नहीं बल्कि अपने दम पर अपने सेवा कार्यों के बल पर राजनीति में काम कर रहे हैं। सेवा उनका शौक है और हर जरूरतमंद का सहयोग करना उनकी फितरत। बिल्कुल अपने पिता की तर्ज पर आकाश भी हंसमुख एवं मिलनसार कार्यकर्ता के रूप में दक्षिण मुंबई के दिलों में बसने की कोशिश मैं सफल रहे हैं। आकाश कहते हैं- मुझे काम करने में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आती, क्योंकि यह सब तो मैंने बचपन से मेरे पिता को करते देखा है। इसीलिए बहुत पहले से ही सीख लिया था कि सरकार में बैठे अधिकारियों से किस काम को, किस तरह से, कितना जल्दी करवाया जाता है।

आकाश राज पुरोहित कहते हैं – मैं दक्षिण मुंबई की समस्याओं को गहराई से समझता हूं। क्योंकि मैं खुद उन समस्याओं को बचपन से ही जी रहा हूं। मेरे लिए न तो यहां के लोग और न मैं उनके लिए नया हूं। मेरी जनता और मैं, जबसे मैं जन्मा तब से ही एक दूसरे को अच्छी तरह से जानते हैं। ओर आकाश राजपुरोहित नई पीढ़ी के राजनेता हैं और राजनीति की उम्मीदों के आसमान पर अपने सितारे को चमकाने के लिए स्थापित कर चुके हैं। बीजेपी की युवा शाखा में कई जिम्मेदारियां निभा चुके आकाश मूल रूप से दक्षिण मुंबई के कोलाबा एवं कालबादेवी इलाके में ही ज्यादा व्यस्त रहे हैं। यही उनकी कर्मभूमि है और यही उनका क्षेत्र। जब उनसे पूछा कि मुंबई तो बहुत बड़ा शहर है, आपने जनसेवा के लिए यही इलाका क्यों चुना, तो आकाश ने बहुत समझदारी एवं जिम्मेदारी से उत्तर दिया। वे बोले – हम जिस क्षेत्र को ज्यादा अच्छी तरह से समझते हैं, जहां के लोगों के मन को हम ज्यादा गहराई से पढ़ सकते हैं, एवं वहां के लोग भी आपसे प्रेम करने लग जाते हैं। एवं उन्हीं के लिए काम करने में संतोष भी मिलता है। क्योंकि वे हमारी काम करने की क्षमता एवं ईमानदारी के साथ साथ राजनीतिक जड़ों से भी वाकिफ होते हैं। किसी 30 साल के युवा नेता से इस तरह के बेबाकीपूर्ण एवं जिम्मेदारी भरे जवाब की उम्मीद सामान्य तौर पर कोई नहीं करता। लेकिन फिर भी जब सामने से अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों के बारे में बेहद गंभीरता से जब कोई बात रखता है, तो उम्मीद तो जगती ही है। आकाश राज पुरोहित से मुंबई को इसीलिए उम्मीद है।




सभार
http://shatabdigaurav.com


Sunday 7 May 2017

Shri Atmanand ji Saraswati Ji Maharaj ka jeevan parichay

स्वामी श्री आत्मानंद सरस्वती महाराज

पूरा नाम : - संत श्री 1008 स्वामी श्री आत्मानन्द सरस्वती जी महाराज 

जन्म का नाम : - अचल सिंह 

जन्म तारीख 3 सितंबर , 1924 ( विक्रम सम्वत सुक्लापक्सा भाद्रपद चतुर्थी १९८१ - बुधवार ] 

पिता जी - श्री देवीसिंह राजपुरोहित गुन्देचा ( गुन्देशा ) 

माता का नाम : - श्रीमती मंगु देवी जी

जन्म स्थान : - बारवा जाब तहसील : - बाली जिला - पाली ( राजस्थान ) 

गुरु का नाम : - श्री जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य श्री 1008 श्री अनंत महाराज ज्योतिपीठ शांतानंद सरस्वती जी

श्री 1008 श्री अनंत महाराज ज्योतिपीठ शांतानंद संत श्री 1008 श्री शिक्षा सारथि स्वामी आत्मानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने यौवन काल शाह एक ऊंचे और तपस्वी का जीवन व्यतीत किया है । नियम और व्रतों का पालन किस कहा और कड़ाई से वैसा हमने आज तक दूसरे किसी व्यक्ति को नहीं करते देखा !

     जिन लोगों ने संत श्री को निकट से देखा है । करता इस बात की सत्यता से भलीभांति परिचित होंगे ! संत श्री बहु प्रतिभा के धनी हैं । इनका जीवन प्रारम्भ से ही कर्ममय रहा है और बालकों की शिक्षा की तरह ही कन्याओं की शिक्षा पर भी बहुत बल दिया है । महान कर्मयोगी , सरस्वती जो राजपुरोहित समाज में शिक्षा क्षेत्र असीम योगदान . " अध्यात्मिक महापुरुष " घोर तपस्वी , संत श्री दतारा सुंदर वक्ताओं ने शिक्षा के क्षेत्र के विकास में सामाजिक हॉस्टल का गठन और , आपको को शिक्षा विद के नाम से जाने जाते है क्योकि आपने हॉस्टल राजपुरोहित जालोर , पाली मारवाड़ , फालना , रानीवाडा , कलंदरी , जोधपुर ( तीसरा विस्तार ) , सिरोही , भीनमाल और आहोरे और राजपुरोहित समाज के भवन भवस - सांचौर , सिरोही , कलदरी , पाली , निम्बेश्वर आदि समाज के कई जगह आज हॉस्टल पर संत श्री के नाम से भी प्रमुख स्थानों में विकसित कर रहे हैं . पुरानी हील और महादेव मंदिर का भी निर्माण किया है आपने कई गौशाला के विकसित किया हैं संत श्री 1008 श्री आत्मानन्द जी महाराज की समाधि जालौर में है ।

       Dhanyavad by
 राजपुरोहित समाज Blog 


Saturday 6 May 2017

Sant 1008 Shri Nirmal Das Ji Maharaj jeevan parichay


महामंडलेश्वर श्री निर्मलदास जी महाराज

महन्त श्री 1008 निर्मलदासजी महाराज ससंत कबीर आश्रम - बालोतरा जालोर जिले को सांचोर तहसील मुख्यालय में एक ग्राम भादरूणा आया हुआ हैं । यहां वर्तमान में 15 घर राजगुरू परिवार के रहते हैं । यह गांव महन्त श्री की पैतृक जन्मभूमि हैं इसलिए इनके दादाजी मलजी ( सासारिक ) की ग्राम में पारिवारिक स्थिति सामान्य थी इसल ए ये बाडमेर जिले के बालोतरा नगर चले आये । इनकी योग्यता के अनुरूप नगरपालिका में कार्य मिल गया व यहीं बस गये । इनकी धर्म पनि बड़ी धर्मपरायण व सात्विक प्रवृति की थी । 

इनकी ज्येष्ठ पुत्र जेठारामजी के घर जगदीश का जन्म विक्रम संवत 2025 आषाढ दी तेरस को हुआ । इनकी मातु श्री का नाम धापु देवी हैं । ) परिवार वालों ने मात्र 8 वर्ष की उस सत कबीर आश्रम बालोतरा ) ले जाकर स्वेच्छा से भेंट कर दिया ( इनकी दादी श्री ! तुलसादेवी ने समर्थ सत श्री रूधनाथजी महाराज से प्रार्थना की थी कि उनके पुत्र गोपाराम के पुत्र नहीं है । संत श्री के आर्शीवाद फलस्वरूप दो पुत्र भी हुए पर संत श्री ने आशीर्वाद सशर्त दिया था कि एक पुत्र मेरे यहां आश्रम की सेवा में हमेशा क लिए दोगी तो गुरु महाराज तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूरी करेगे । इसलिए दिये गये वचनों के अनुसार तुलसादेवी ने परिवार के डोलते मन से विचलित न होकर अपनी प्रतिज्ञा को पुरी ) संत कबीर आश्रम परम्परानुसार संत कबीर करवाया पीठ के , महन्तों ने बालक जगदीश को महन्त की गादी पर चादर ओढ़ाकर संतों विधिवत बैठावर नामकरण जगदीश से महन्त श्री निर्मलदासजी रखा क्योंकि महन्त ! श्री रूघनाथदासजी ब्रह्मालीन हो चुके थे ) बाल्यवस्था देखकर परिवार वालों को पुन धरोहर के रूप में शिक्षा दिलाने हेतु सौप दिया । उपरोक्त जानकारी

रिश्तेदारों को नहीं होने से यौवनावस्था तक पहुचते ही सगाई के लिए प्रस्ताव माने लगे । परिवार वालों को मौन देखकर इनकी दादी श्री तुलसादेवी ने पुन : चेतावनी देते हुए कहा - संतों को दिये वचनो से मुकर जाना या झूठला देना अच्छी बात नहीं हैं । इससे परिवार के सर्वनाश की शुरूआत होगी । आगे निर्णय तुम्हें करना हैं । ये बातें युवा जगदीश महंत श्री निर्मलदास ) : भी सुनी । दादी श्री की अपनी प्रतिज्ञा के प्रति निष्ठा देख क्षणिक मानसिक हलचल हई , व मन एकाएक निर्णायक मोड़ पर आकर शान्त हो गया एक दिन परिवार को बिना कहे गुरूकृपा की प्रेरणा से आश्रम चले गये । मन में अभिलाषा थी कि योग्य आचार्य से शिक्षा प्राप्त की जावे । काशी चले आये । यहां कबीर चौरा मठ में रहकर दो वर्षों तक धर्माचायों के सानिध्य में रहकर शिक्षा प्राप्त की बाद में पुष्कर चले आये । यहां पर भी कुछ समय तक रहकर ध्यान योग पर प्रवचन का लाभ लेते हुए वहा से पुन संतों के साथ भ्रमण करते बंगाली बाबा व आम वाले बाबा के सानिध्य में प्रेरणा मिली कि व्यर्थ भटकने से लाभ नही मिलता । यहीं से पुन अपने कबीर आश्रम ( बालोतरा ) लौट आये । यहां आकर समय - समय पर प्रवचन सत्संग करवाते रहे एवं साथ - साथ संत श्री खेतारामजी महाराज के सानिय : आते रहते थे । एक बार संत श्री ( खेतारामजी ) ने महन्त श्री निर्मलदासजी की यौवन अवस्था देख कहा रामजी , साधु जीवन शुरू में कठोर मार्ग लगता हैं परन्तु लक्ष्य की ओर विधिवत् चलोगे तो ईश्वर तुम्हारे हर कार्य में साथ रहकर ( अप्रत्यक्ष रूप से ) ! सहयोग करेगे , सर्वप्रथम घर को सुधारोगे तो समाज स्वत धीरे - धीरे सुधरता जायेगा । ( ईशारा था जिस कुल में तुमने जन्म लिया उसके लिए भी सेवाएं देना ) शिक्षा की तरफ भी ध्यान देने का भी संत श्री खोतारामजी महाराज प्रसंगवश कहते रहते । ये बातें महन्त निर्मलदासजी बड़े ध्यान से सुनते और मन में ऐसा लगा कि अगर सुवसर मिला तो रचनात्मक कार्यों में ( राजपुरोहित समाज में ) अवश्य भाग लूंगा 1 और श्री गणेश किया राजपुरोहित छात्रावास बाड़मेर में अपनी सेवाएँ देकर । उसके बाद इन्द्राणा ग्रामवासियों ने संत श्री खेतारामजी महाराज से ठाकुरजी का आग्रह स्वीकार किया तो ) मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न रिघुनाथजी करवाने ब्रह्मलीन होने पर , यहाँ संत श्री खेतारामजी ने आग्रह को स्वीकार तो किया परन्तु प्राण प्रतिष्ठा में सेत बन श्री निर्मलदासजी ने हर्षोंल्लास के साथ दिया । 

संत श्री खेतारामजी महाराज के समाधि स्मारक गुरू मन्दिर में भी द्रटी एवं के साथ अपनी सेवाएं प्रतिष्ठा गादीपति तक जारी रखी , मोहराई ग्रानवासियों को विशेष अनुरोध पर राजपुरोहित बन्धुओं ( मोहराई ) में चल रहे मत मतान्तर को समाप्त कर प्राण प्रतिष्ठा ( अम्बे माता के मन्दिर में ) सम्पन्न कराई । ग्राम अराबा ( दुदावत ) में ठाकुरजी के मन्दिर की प्रतिष्ठा ग्रामवासियों के सहयोग से धुमधाम से सम्पन्न करवाई । 

सियों का गोलिया में चामुण्डा माता मंदिर,कल्याणपुरा में हनुमानजी का मन्दिर इत्यादि के अतिरिक्त हरिद्वार में समाज भवन हेतु दक्षिण भारत की यात्रा कर भवन सहयोग हेतु श्रद्धालु , भाविक , भामाशाहो , उद्योगपतियों एवं सामान्य वर्ग नौकरी ! करने वालों से भी सहयोग राशि प्राप्त कर सराहनीय सेवाएँ देकर अपनी अह भूमिका अदा की एवं विशाल राजपुरोहित समाज के समक्ष ट्रस्टियों के सहयोग को द्वारा ब्रह्मधाम आसोतरा के गादिपति से उदघाटन करवाकर एक ट्रस्ट का गठन कर अखिल भारतीय राजपुरोहित समाज विकास संस्था को रजिस्टर्ड करवाया जिसका मुख्यालय आसोतरा ब्रह्मधाम व उप कार्यालय हरिद्वार में रखा गया । जिसमें रा वरिष्ठ उपाध्यक्ष महन्त श्री निर्मलदासजी मनोनित किये गये । राजपुरोहित समाज ही नहीं अपितु अन्य समाज में भी धार्मिक कार्यों में अग्रणी रहकर कार्यों को सम्पन्न करवाने में अपनी समय - समय पर अहं भूमिका अदा कर रहे हैं।

                           सभार
                 Rajpurohit Samaj