Friday 3 April 2020

समाज के महान संत का जीवन परिचय

राजस्थान के जालौर जिले भीनमाल तहसील के छोटे से जेतु गांव के रुदवा गौत्र के राजपुरोहित परिवार के उकचंदजी को यह आभास ही नहीं था की उनका होने वाला चौथा पुत्र भी अपने भाई ( शान्तिविमल सूरीश्वरजी ) की तरह सयम मार्ग को अपनाकर जेतु गांव का और जिनशासन मे अपना नाम रौशन करेगा लेकिन होनी को मंजूर होता है वही होता है ।। 

9 दिसंबर 1964 विक्रम संवत 2020 अश्वनी सूद 9 को माँ वादली बाई की कोख से बालक प्रभुलाल आपका जन्म हुआ था ।
पिता उकचंदजी और माँ वादली बाई पुत्र प्रभुलाल को अपने भाई ( शान्तिविमल सूरीश्वरजी ) के पास लेके जाते थे जो पहले ही जैन धर्म दीक्षा अंगीकार कर सुके थे ।। 
बालक प्रभुलाल ने मात्र 8 वर्ष की छोटी आयु मे ही आचार्य महाराज के पास रहना स्वीकार किया और उसके 3 वर्ष पच्छात 11 वर्ष की आयु मे विक्रम संवत 2031 मगसर सुदी 4 को पालीताना श्री शत्रुंजय महातीर्थ मे दीक्षा संपन्न हुई शांतिविमल सूरीश्वरजी ने दीक्षा दी आपका नाम प्रभुलाल से प्रधुम्नविमलजी हुआ जो बाद मे जाके देश विदेश मे भाई महाराज के नाम से पहचाने जाने लगे।। 
अपने गुरु शान्तिविमल सुरीजी के सनिध्य मे आपने हिंदी मारवाड़ी गुजराती संस्कृत पाकृत आदी विभिन्न भाषाओ का ज्ञान प्राप्त किया ज्योतिष शास्त्र का भी गहरा अध्यन किया आपके गुरुदेव ने आपको मंत्र साधना और ज्योतिष शास्त्र का विशेष ज्ञान दिया  आपने विद्वावान मुनि जम्बूविजय जी के सानिध्य मे शंखेश्वर पाटन दसाणा माण्डल आदी विभिन्न स्थानों पे जैन धर्म के सिद्धांतो आगमो और शास्त्र का गहराई से अध्यन किया 
25 मई 1983 वैशाख सुदी 11 को आपके गुरु शान्तिविमल सूरीश्वरजी का देवलोक गमन होने के कारण आपको छोटी सी उम्र मे विमल गच्छ का गच्छाधिपति बनाया गया और 20 फ़रवरी को ( महा सुदी 13 ) को मुंबई के आजाद मैदान मे नित्योदय सागर सूरीश्वरजी की निश्रा मे आपको आचार्य पद प्रदान किया गया।। 
आचार्य प्रद्युम्नविमल सुरीजी के हस्ते 35 से अधीक साधु और साध्वी भगवंत की दीक्षा संपन्न हुई । और 100 से ज्यादा जिनमंदिर और गुरु मंदिरो की प्रतिष्ठाए  हुई
आपके हस्ते कही अस्पताल और विद्यालय का निर्माण हुआ आपश्री ने अभी तक गुजरात राजस्थान झारखण्ड बिहार हरियाणा मध्य प्रदेश महाराष्ट्र आदी  प्रदेशो मे लगभग 1 लाख किलोमीटर पदयात्रा कर चुके है आपके सरल स्वभाव के कारण हर कोई आपकी तरफ आंगतुक इनके प्रति आज्ञाध श्रद्धा से ओत प्रोत हो जाता है प्रभावपूर्ण व्यकितत्व कला और जैन धर्म का गहन अध्यन आपके व्यक्तिव से झलकता है 
आपने जो मगरवाडा तीर्थ जो मणिभद्र वीर का तीसरा मूल स्थान है उसका जो निर्माण और तीर्थ के विकास के लिये जो आपने काम किया है वो अपने आप मे अविश्वनीय और अदभुत है और गिरनार तीर्थ और महातीर्थ पालीताणा  के लिये जो काम कर रहे है वो वंदनीय है 
आपकी निश्रा मे 2022 रत्नागिरी मिनी पालीताणा तीर्थ बनकोड़ा डूंगरपुर के समीप का निर्माण होने जा रहा है आपने शासन के लिये ऐसे कही  कार्य किये है  वो अपने आप मे अदभुत है 
आपश्री ने कही ऐतिहासिक चातुर्मास किये है जिसमे गिरनार पालीताणा और नाकोड़ा का नाम आता है 
आपकी सबसे बड़ी विशेषता यह है की जैन समाज के साथ साथ सम्पूर्ण सनातन और हिन्दू समाज के भी हजारो भक्तो के आगाध श्रद्धा के केंद्र है 
आपश्री का 2020 का चातुर्मास मगरवाडा जैन तीर्थ पालनपुर के समीप है।
लिखित :- 
परम गुरु भक्त 
अंकुश अलकेश जैन सूरत
प्रकाश पुरोहित दासपाॕ

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