Friday 19 June 2020

मंच संचालक जय सिंह राजपुरोहित खाराबेरा का जीवन परिचय

इस ब्लॉग के माध्यम से मैं समाज से जुड़ी प्रतिभाओं को आप सबके बीच लाने का एक छोटा सा प्रयास कर रहा हूं और आज इसी कड़ी में मैं आपके बीच लेकर आया हूं बाल कलाकार और मंच संचालक जय सिंह राजपुरोहित का जीवन परिचय के साथ हाजिर हुआ हूं आपका सवाई सिंह राजपुरोहित मीडिया प्रभारी सुगना फाउंडेशन 


 संक्षिप्त परिचय
नाम : जयसिंह राजपुरोहित खाराबेरा
पिता का नाम : श्री भाकरसिंह जी राजपुरोहित 
माता का नाम : श्रीमती दरियाव देवी
जन्म दिन :01/03/1997
गोत्र : सेवड़
शिक्षा:-  12 वी  
गाव का नाम : खाराबेरा पुरोहितान (जिला जोधपुर) 
 
 एक सामान्य परिवार का नवयुवक जिसने अपनी राह खुद बनाई और चल पड़ा अपने हुनर को लेकर जहाँ हजारों की संख्या उनके आगे थी पर इनका मानना था की 
" मंजिले उन्हें नहीं मिलती जिनके ख्वाब बड़े होते है
 बल्कि मंजिले उन्हें मिलती हैं जो अपनी जिद्द पर अड़े रहते है" 
और आपने यह साबित करके भी दिखाया।

 कवि जयसिंह खाराबेरा के परिवार में पिता जी का देहांत हो चुका है माताजी और चार भाई के साथ चार बहने है खुशहाल परिवार है बचपन से ही इनको संगीत से प्रेम था और समाज में इनके पिताजी की एक अच्छी पहचान थी और उसी के साथ इनके पिताजी बहुत अच्छे चित्रकार भी थे।

 कवि जयसिंह खाराबेरा को बचपन से ही मंचो पर बोलने का शोक का जब यह दस साल के थे जब से इन्होने मंचो पर बोलना शुरू कर दिया था स्कूल समय से ही कवि जयसिंह अपनी छोटी छोटी रचनाएँ सांस्कृतिक कार्यक्रमो मे सुनाया करते थे और इनके परिवार ने भी इनका साथ दिया।
शिक्षा के लिए गाव से बाहर पाली जाना पड़ा इनके अंदर की लगन हमेशा मंच की ओर ले जाने का प्रयास कर रही थी फिर 2014 मे पाली के कवि श्री सुखसिंह जी राजपुरोहित आउवा और कवि दलपतसिंह जी रुपावास का इनको आशीर्वाद मिला और इन्हें वहीं पर 1-2 कार्यकर्मो में जाने का मौका मिला । 

  "मिलेगी परिंदो को मंजिल
यह उनके पर बोलते हैं ।
कुछ लोग रहते हैं शांत पर 
उनके हुनर बोलते है ।।"

 उसके बाद उन्होंने निश्चय कर लिया की मुझे एक अच्छा एंकर ही नहीं एक कामयाब लेखक भी बनना है उसके बाद कवि जयसिंह की पढ़ाई 12 वी पूरी हो जाने के बाद वो पुणे में अपने बड़े भाई महेशसिंह जी के साथ नौकरी करने लग गए कुछ समय तक काम की ज़िम्मेदारी के कारण उनकी संगीत से दुरी बढ़ गई फिर बड़े भाई बलवंतसिंह से इन्होने अपना सपना पूरा करने की बात कही ओर बलवंतसिंह इन्होंने नहीं रोका मां शारदा मां सरस्वती का आशिर्वाद से उन्हें पुनः रास्ता एक गौ रक्षक के रूप में मिला और कवि जयसिंह सोशल मीडिया पर अपने ओजस्वी भाषण और कविताओ को लेकर चर्चित होने लगे उसी दौरान उनकी मुलाकात सुरेंद्रसिंह राजपुरोहित उर्फ़ SS Tiger से हुई और कवि जयसिंह ने उनके जीवन पर आधारित कविता लिखी और 18 दिसंबर 2018 को SS Tiger के जन्मदिन के मौके पर बंगलौर मन्च पर वो कविता 10,000 लोगो के बीच सुनाई और वहा उन्होंने अपने नाम के झंडे गाड़ दिए वहीं पर उनकी मुलाकात गजेंद्रनिवास जी राव , महेंद्रसिंह जी राठौड़ और नूतन जी गहलोत से हुई और वहा पर राजपुरोहित समाज के एक उभरते कलाकार दिलीपसिंह जी खारवा मौजूद थे और उन्होंने कवि जयसिंह को भजन लिखने की राय दी। उन्होंने माँ शारदे के दिए आशिर्वाद पर भरोसा था फिर उन्होंने पहला भजन शितला माता के लिखा और वो हिट हुए फिर भजन गायक हैमेन्द्रसिंह राजपुरोहित का इनको साथ मिला और जयसिंह खाराबेरा को पहली बार मंचसंचालन का मौका मिला फिर हैमेन्द्रसिंह राजपुरोहित ने उनको हैदराबाद सिंगर रविंद्रसिंह  कोसाना के पास भेजा और वहा उनको राजस्थान के सभी फनकारों के सात काम करने का सौभाग्य मिला सबका बहुत प्रेम मिला और बड़े फनकारों (कलाकारों) के साथ प्यार और सहयोग निरंतर मिलता जा रहा है।

कवि जयसिंह हमे बताया हैं की यह सब 
सिंगर रविंद्रसिंह, सिंगर भरतसिंह रुपावास, सिंगर गौतमसिंह आउवा, सिंगर हैमेन्द्रसिंह और सिंगर दिलीपसिंह सभी की कृपा और आशीर्वाद से ही आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूं ओर सबसे बड़ी खुशी की बात और मेरे सौभाग्य यह है कि मारवाड़ जन्क्शन में हुए प्रथम प्रवासी महासम्मेलन में भी इन्होने अपने प्रस्तुति दी और वहा पर गुरुदेव श्री 1008 श्री  बालकदास जी महाराज का आशिर्वाद भी मिला।

आज कवि जयसिंह राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष में  मंचसंचालन का कार्य करते है जैसे बैंगलोर, पुने, मुम्बई, सूरत, चेनाई, तिरुपति, हैदराबाद आदि शहरों में अपने आवाज के दम पर सफल आयोजन किए हैं। 

दुनिया से बाजी जीतकर मशहूर हो गये
इतना मुस्कुराये कि दुख सब दूर हो गये
हम काँच के थे दुनिया ने हमको फेंक दिया था
श्री खेतेश्वर दाता के चरणों में आये तो कोहिनूर हो गये।
 बाल कलाकार और मंच संचालक कवि जयसिंह राजपुरोहित खाराबेरा के उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं आप इसी तरह परिवार और समाज का नाम रोशन करें ऐसी मंगल कामना टीम सुगना फाउंडेशन और राजपुरोहित समाज इंडिया करती है।

कौन कहता है कि मेरा ईश्वर प्यार नहीं करता
प्यार तो करता है मगर प्यार का इजहार नहीं करता
मैनें देखा है दर पे माँगनें वालों को
मेरा ईश्वर देने से इनकार नहीं करता।

 विशेष सूचना 
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