Monday 20 March 2017

नरपत सिंह राजपुरोहित के नाम से थर्राते है नक्सली

नरपतसिंह राजपुरोहित  के नाम से थर्राते है नक्सली

थार के रेगिस्तान में जहां दूर दूर तक छितराई ढाणियां नजर आती है, कहीं लोग पानी का जुगत लगाते नजर आते है, तो कहीं पशु पक्षी छाया ढूढने के लिए दर ब दर भटकतेहै। ऐसी कठिन जीवन शैली मेंही जाबांज और यौद्धा पैदा होते है। बाड़मेर जिले के चौहटन क्षैत्र के ढोक गांव में शौर्यवीर नरपतसिंह राजपुरोहित का जन्म हुआ। ढोक गाँव में विश्वविख्यात माँ वांकल विरात्रा का भव्यमंदिर है। माता के आशीर्वादऔर अपने पिता के मार्गदर्शनएवं उनके नक्शे कदम पर चलतेहुए नरपतसिंह ने इस गाँव हीनही तहसील एव जिले का नाम रोशन किया। राजपुरोहित का पूरा परिवार देश सेवा को समर्पित रहा है। इनके पिता कुम्पसिंह ने भारतीय सेना में देश की। उन्होंने अपनी नोकरी पूरी करने के बाद अपने बेटो को भी देश सेवा के रास्ते चलने की प्रेरणा दी। अपने तीनो पुत्रो में सबसे बड़े पुत्र घर पर ही अपने पिता के साथ घरेलू कार्य में हाथ बंटाते है उनसे छोटे नरपतसिंह वर्तमानमें एसएसबी में 18वी वाहिनी में असिस्टेंड कमांडेड के रूप में अपनी सेवा झारखंड में दे रहे है।इनका चयन पांच साल पहले हुआथा। उनसे छोटे प्रहलादसिंह भारतीय थल सेना में क्लर्क के पद पर अपनी सेवा दे रहे है वैसे देखा जाये तो पिता से लेकर दूसरी पीढ़ी भी देश सेवा को समर्पित है।नक्सलियों को किया मजबूर, हथियार डालेहोली से एक दिन पूर्व छतीसगढ़ और झारखंड में देश के जवानों को नक्सलियों से लोहा लेना पड़ा। छतीसगढ़ में बहुत बुरा हुआ और नक्सलियोंने हमारे जवानों पर घात लगाकर हमला किया। जिसमें 12 भारतीय जवान शहीद हो गये। ये बुरी खबर थी वही दूसरी और झारखण्ड के रांची में भी ऐसी ही घटना घटने वाली थी लेकिन जवानों ने सूझबूझ से काम लिया। रांची में एसएसबी की 18 वि वाहिनी में 120 लोगो कीबटालियन है जिसका नेतृत्व ढोक निवासी असिस्टेंड कमांडेट नरपतसिंह राजपुरोहित कर रहे थे। वो अपने कुछ सैनिकों के साथ पेट्रोलिंग के लिए निकले थेकि नक्सलियों के अडो तक पहुंच गये तो नक्सलीयो ने जवानों को देखकर फायरिंग शुरू कर दी। जिसका राजपुरोहित सहित टुकड़ी ने मूंह तोड़ जवाब दिया। काफी देर तक चली मुठभेड़ और कमांडेंट के अदम्य साहस को देखते हुए नक्सलियों ने अपने हथियार डाल दिए और समर्पण कर लिया। नरपतसिंह ने अपनी सजगता दिखाते हुए अपने साथियों को पूरा इलाकाघेरने का आदेश दिया और 8 जिन्दा नक्सलियों को गिरफ्तार कर लिया। उनके इस साहसिक कार्य के परिणाम स्वरूप आज नरपतसिंह राजपुरोहित आमजन के हीरो बनगए है। इसको लेकर अखबार व न्यूज चैनलों ने नरपतसिंह की भूरि भूरि प्रशंसा की है। इस जांबाज ने पिछले कई महीनों के दौरान करीब 24से ज्यादा जिन्दा नक्सली पकड़ लिए है। उड़ीसा एव झारखंड के नक्सली प्रभावित इलाकों में नरपत आतंकियों के लिए काल बने हुए है। उन्होंने नक्सलियों में इतना भय पैदा कर दिया है किया तो वो सरेंडर कर देते हैया उस इलाके से दूर चले जाते है। नरपतसिंह अपनी वीरता और साहस का पूरा श्रेय अपने पिता कूंपसिंह को देते है। गांव के युवाओंके लिए नरपतसिंह आइडल बने हुए है। पूरे गांव को उन परगर्व है।


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