राजाजी श्री निर्मलनाथजी महाराज का जीवन परिचय
श्री निर्मलनाथजी महाराज का जन्म गाँव मोदरा, जिला जालौर मे राजपुरोहित जागरवाल कुल मे विक्रम संवत 2039 मे मगसर शुक्लपक्ष नवमी को हुआ था, नाथजी के बचपन का नाम - नारायण था ।
पिताजी का नाम ओखसिंह जी एवं मातश्री का नाम मुंगीदेवी है, निर्मलनाथजी चार भायों मे दुसरे नम्बर है, ननिहाल गांव ओटवाला जिला जालौर में है ।
एक बार निर्मल नाथजी के माता पिता पुत्र प्राप्ति हेतु पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज की शरण मे गयेे, और पुत्र प्राप्ति हेतु उन्होने पीरजी महाराज से आशीर्वाद मांगा, तो गुरुदेव ने भक्त की इच्छा पर उन्हें चार पुत्रो का आशीर्वाद दिया, तब आपके माता पिता ने कहा कि, हे दाताश्री अगर हमे आपने चार पुत्र दे दिए तो एक पुत्र को हम आपकी सेवा मे अर्पण कर देगे ।
पिरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज की कृपा से ओख सिंह जी को एक के बाद एक चार पुत्रों की प्राप्ति हुई ।
एक बार श्री शान्तिनाथजी महाराज मोदरा पधारे तो आपके पिताजी ने अपने चारो पुत्रो को नाथजी महाराज के समुख खडा कर दिया, और कहा कि हे गुरुवर ये चारो आपके कृपा की देन है, आप जिसे चाहे उसे अपनी शरण मे स्वीकार लो ।
तब श्री शान्तिनाथजी महाराज ने नारायण के सर पर हाथ धर दिया, और आदेश दिया कि " ॐ नम: शिवाय " जपते रहो, और नारायण का नाम करण " निर्मल ,, कर दिया, तब आपकी ऊमर दस वर्ष की थी, उस दिन के बाद से आप " हरी " की भक्ति मे लिन हो गये ।
पन्द्राह वर्ष की ऊमर मे आपको विक्रम संवत 2057 चैत्रसुदी एकम की अमावश्सा को गुरुदेव जी के चरणों में सिरेमंदिर में अर्पण किया, कानो कुण्डल विक्रम संवत 2060 मे धार करवा कर पूर्ण नाथ बना कर निर्मलनाथ कहलाये, आप गुरुजी श्री शान्तिनाथजी महाराज की तन मन से सेवा करने लगे, एक दिन श्री शांतिनाथजी महाराज ने अपने शिष्य कमलनाथजी से कान फुकवा कर आपको उनका शिष्य बना कर श्री शान्तिनाथजी महाराज दादा गुरु बन गये ।
श्री निर्मलनाथजी की कुटंब यात्रा सन् 2006 मे वैसाख सुदी चौदस को हुई ।
कणीयागिरी पर्वत पर श्री जलंधरनाथजी महाराज की तपोस्थली सिरेमन्दिर पर आपने कर्म एवं भक्ति की एवं दादा गुरू श्री शान्तिनाथजी महाराज की सेवा तन मन से की थी, इसी कारण दादागुरु श्री शान्तिनाथजी महाराज के आशीर्वाद से ही आज आप नाथ संप्रदाय के राजा के पद पर कडली मठ मेंगलोर में विराजमान है
श्री निर्मलनाथजी महाराज को सन 2015 अगस्त नाशिक कुंभ मेले में अखिल भारतीय नाथ सम्प्रदाय के समस्त साधु संतों, पीठाधीशो, शंकराचार्यो एवं योगियों द्वारा नाथ सम्प्रदाय के राजा के लिए निर्विरोध चुना गया
श्री निर्मलनाथजी महाराज पैदल नाशिक कुंभ मेले से झुन्डी यात्रा द्वारा 8 महीने में मेंगलोर पहुंचे थे, एवं 7 मार्च 2016 को राजाजी का गादी तिलक हुआ था
श्री निर्मलनाथजी महाराज दादा गुरु पीरजी श्री शान्तिनाथजी महाराज की असीम कृपा एवं श्री गंगानाथजी महाराज के पूर्ण सहयोग से अखिल भारतीय नाथ सम्प्रदाय के राजा के पद पर आसीन हुए
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Tuesday 22 May 2018
राजाजी श्री निर्मलनाथजी महाराज का जीवन परिचय
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