Thursday 21 May 2020

महान तपस्वी संत श्री आत्मानंद जी महाराज का जीवन परिचय

 आज जीवन परिचय एक ऐसे महान संत और तपस्वी का है जिन्होंने अपना पूरा जीवन शिक्षा को समर्पित किया आज भारतवर्ष में गुरु महाराज जी के नाम से कई शिक्षण संस्थाएं और छात्रावास बनाए हैं ऐसे ही पूज्य संत का हम जीवन परिचय प्रस्तुत करने जा रहे हैं किसी प्रकार की कोई त्रुटि हो तो आप हमें जरूर सूचित करें हम उसमें सुधार करेंगे ...सवाई सिंह राजपुरोहित मीडिया प्रभारी सुगना फाउण्डेशन 
ॐ गुरु ग्रंथन का सार है, गुरु है प्रभु का नाम,
गुरु अध्यात्म की ज्योति है, गुरु हैं चारों धाम...
श्री 1008श्री आत्मानंद सरस्वतीजी महाराज का जीवन परिचय

पूरा नाम : - सात श्री 1008 स्वामी आत्मानन्द सरस्वती जी महाराज 
जन्म का नाम : - अचल सिंह 
जन्म तारीख 3 सितंबर , 1924 ( विक्रम सम्वत सुक्लापक्सा भाद्रपद चतुर्थी १९८१ - बुधवार ] 
पिता जी - श्री देवीसिंह राजपुरोहित गुन्देचा ( गुन्देशा ) 
माता का नाम : - श्रीमती मंगु देवी 
जन्म स्थान : - बारवा जाब तहसील : - बाली जिला - पाली ( राजस्थान ) 
गुरु का नाम : - श्री जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य श्री 1008 श्री अनंत महाराज ज्योतिपीठ शांतानंद सरस्वती जी हैं 
श्री 1008 श्री अनंत महाराज ज्योतिपीठ शांतानंद संत श्री 1008 श्री शिक्षा सारथि स्वामी आत्मानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने यौवन काल शाह एक ऊंचे और तपस्वी का जीवन व्यतीत किया है । नियम और व्रतों का पालन किस कहा और कड़ाई से वैसा हमने आज तक दूसरे किसी व्यक्ति को नहीं करते देखा ! जिन लोगों ने संत श्री को निकट से देखा है । करता इस बात की सत्यता से भलीभांति परिचित होंगे ! संत श्री बहु प्रतिभा के धनी हैं । इनका जीवन प्रारम्भ से ही कर्ममय रहा है और बालकों की शिक्षा की तरह ही कन्याओं की शिक्षा पर भी बहुत बल दिया है । महान कर्मयोगी , सरस्वती जो राजपुरोहित समाज में शिक्षा क्षेत्र असीम योगदान . " अध्यात्मिक महापुरुष " घोर तपस्वी , संत श्री दतारा सुंदर वक्ताओं ने शिक्षा के क्षेत्र के विकास में सामाजिक हॉस्टल का गठन और , आपको को शिक्षा विद के नाम से जाने जाते है क्योकि आपने हॉस्टल राजपुरोहित जालोर , पाली मारवाड़ , फालना , रानीवाडा , कलंदरी , जोधपुर ( तीसरा विस्तार ) , सिरोही , भीनमाल और आहोरे और राजपुरोहित समाज के भवन भवस - सांचौर , सिरोही , कलदरी , पाली , निम्बेश्वर आदि समाज के कई जगह आज हॉस्टल पर संत श्री के नाम से भी प्रमुख स्थानों में विकसित कर रहे हैं . पुरानी हील और महादेव मंदिर का भी निर्माण किया है आपने कई गौशाला के विकसित किया हैं संत श्री 1008 श्री आत्मानन्द जी महाराज की समाधि जालौर में है🙏🏻🚩🪔🌹👏🏻यह बात है। उस समय की जब देश अंग्रेजो की गुलामी से स्वतंत्रत हो चुका था।

भारत स्वावलंबी बनने की शुरुआती चरण में था। ऐसे समय मे भारत का एक स्वर्णीम वर्ग राजपुरोहित जिसकी गणना समस्त मानव जाति के सबसे उच्चतम वर्ग में की जाती हैं। भूतकाल में हमारे पुर्वज इस समस्त सृष्टि के मार्ग दर्शक हुआ करते थे। ऐसे तपस्वीयों की संतान आज शिक्षा की कमी के कारण किसी का नेतृत्व करने की बजाय परदेशों मे मजदूरी करते हुए दिखाई दे रहे थे।
जो कार्य बैल के द्वारा किया जाना चाहिए था। वो कार्य अशिक्षित होने के कारण हमारे बंधु मजबूरी वश कर रहे थे।
जब समाज मे शिक्षा रूपी दीपक का प्रकाश कही दुर दुर तक नजर नहीं आ रहा था। चारों तरफ धोर अँधेरा ही अँधेरा दिखाई दे रहा था। तब ऐसे समय में राजपुरोहित समाज मे एक ऐसी दिव्य और तेजस्वी आत्मा युवा अवस्था में प्रवेश कर चुकी थी। जिसने हमारे समाज से अशिक्षा रूपी अंधकार को दूर करने के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।
ऐसी महान आत्मा ने अपने शरूआती समय.मे मुम्बई की जुहू चौपाटी पर हमारे बंधुओं को शिक्षित करने का प्रथम प्रयास हाथ मे लिया।
इतने पर भी जब उन्हे आत्म संतुष्टि नहीं हुई। तो उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज को शिक्षित करने के लिए समर्पित करने का मन ही मन संकल्प लिया । और सर्वप्रथम,1960 में कालंद्री में छात्रावास के निर्माण से इसका श्री गणेश किया।
देखते ही देखते जालोर,सिरोही,फालना,जोधपुर,पाली,आबुरोड सभी जगहों पर छात्रावासों का निर्माण करवाया। और समाज को शिक्षित करने के लिए अहम भूमिका निभाई।
ऐसे महान्
ब्रम्हानन्दं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तीं | द्वन्द्वातितं गगनसदृशं तत्व मत्स्यादिलक्ष्यम् ||
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतमं | भावातीतं त्रिगुणरहित सद्गुरुं तं नमामि || समस्त राजपुरोहित समाज में शिक्षा के जागरण के लिए अपना सर्वोच्च अर्पित करने वाले परम् पूज्य सदगुरुदेव ब्रह्मलीन् शिक्षा सारथी स्वरुप गुरुदेव श्री श्री 1008 श्री आत्मानंद जी सरस्वती जी की 15 वी  पुण्यतिथि पर उनको शत-शत नमन वंदन 
सुगना फाउण्डेशन परिवार और राजपुरोहित समाज इंडिया टीम 

🚩🪔🌹👏🏻........  

ॐ गुरु ग्रंथन का सार है, गुरु है प्रभु का नाम,
गुरु अध्यात्म की ज्योति है, गुरु हैं चारों धाम....
श्री गुरूदेव देवानंद जी सरस्वती महाराज के आदेश से हैदराबाद में एक सस्था का गढन किया उसका नाम श्री आत्मान्दजी शिक्षा सेवा समिति है जिसका कार्यक्रम अच्छी तरह चलता है
 हर साल उनके जन्म दिवस के मौके पर और पुण्यतिथि पर हैदराबाद में कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है इस बार लॉक डाउन आने की वजह से कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया।

गुरू जी की महानता भाग 1
एक समय की बात है एक किसी भक्त भाविक ने कहा महाराज श्री आपके लिए एक में बड़ी गाड़ी ला कर के दे देता हूं जिसमे आप और सभी भक्तों भावीक जन बैठकर के कहीं पर जा सकते हो तब महाराज श्री ने प्रेम से मुस्कुराते हुए बोले भाई तेरे पास में कुल कितनी राशि है जो तू गाड़ी लाना चाहता है तब भाई बोला अमुक इतने इतने राशि है तब गुरुदेव श्री ने कहा इस राशि को आप यहीं पर इस आश्रम में समर्पित कर दो मैं खुद गाड़ी लाऊंगा तब भाई बोला महाराज श्री आप केसी गाड़ी लाओगे तब महाराज श्री ने कहा भाई मैं ऐसी गाड़ी लाऊंगा जिसने अपनी पूरी समाज बैठेगी और कुछ समय के अंतराल के बाद महाराज श्री ने जालोर रेलवे स्टेशन के पास 6,,7, बिगा जमीन खरीदी और उसमें हॉस्टल बनवाया समाज के लिए और उस का उद्घाटन हुआ तब उस व्यक्ति को बुलवाया भाई यह समाज की बड़ी गाड़ी है उसमें दूर-दूर से बहुत भक्त भावीक जन पधारे हुए थे और लोग बैठ थे तभी महाराज श्री उस भाई को कहां देख भाई हमने यह गाड़ी लाई है जिसमें प्रकाश रूपी शिक्षा के इस प्रकाश में पुरा समाज बैठेगा इतना हमारे लिए चिंतन करने वाले उन महान् पुरुष कों छत छत नमन है ऐसी आत्मा हम सब लोगों के बिस में यदा कदा ही अवतरित होती हैं ऐसे तो यह भारत भूमि ऋषि मुनियों का ही देश राह और इसी नाम से जाना भी जाता है पर भाई हम कितने बहुत खुश भाग्यशाली हैं जो हमारे कुल में हमारे ही समाज में ऐसी मान हंसती का जन्म हुआ ।

 यह जानकारी हमें उपलब्ध करवाई है हैदराबाद से श्री चंपालाल जी राजपुरोहित में हम उनका भी तहे दिल से धन्यवाद करते हैं

 गुरु महाराज जी की पुण्य स्मृति पर फेसबुक पर राजपुरोहित समाज इंडिया द्वारा एक पोस्ट के दौरान हमें एक कमेंट मिला जालौर से अध्यापक श्रीमान महेंद्र सिंह राजपुरोहित का और उन्होंने गुरु महाराज जी के साथ रहते एक घटना का वास्तविक वर्णन हमें किया सोचा उसको मैं अपने इस जीवन परिचय में शामिल करूं प्रस्तुत है उनका यह कमेंट

गुरू जी की महानता भाग 2 :- बात उन दिनों की है जब में 1988-89 में होस्टल में पढ़ता था । एक दिन पेशाब घर में लगे टब में लड़के कंकर फेंककर निशाना लगा रहे थे।टब के छेद बंद हो गये ।पूरा भर के छलकने लगा ,पूरा पेशाबघर गीला हो गया। गुरूदेव घूमते-घूमते आते नजर पड़ी तो झट से बांह ऊंची करके पेशा भरे टब में से कंकर निकालने लगे तब हम दौड़कर गये गुरूदेव को एक तरफ लाकर हमने साफ किया। गुरूदेव ने कहा कि तुम्हारे चप्पल पेशाब में गीले होते हैं फिर तुम अपने कमरे,आश्रम,रसोई,और पता कहां कहां तक गंदगी ले जाओगे।हाथ तो गंदे कभी होते ही नहीं है,सुबह शौच के बाद सफाई करते हो ।हाथ साबुन से दो तीन बार धोते हो फिर उसी से भोजन भी करते हो ,पूजा पाठ भी करते हो  कभी हाथ को काट के फेंका क्या ?"
मैं किसी की निंदा या बुराई या महानता का बखान नहीं करता हुं। ये मेरे आंखों देखी सच्ची घटना है,और आप में से किसी ने महान संत को ऐसा करते देखा हो तो जरूर बताये।

 श्रीमान महेंद्र सिंह राजपुरोहित जी अपका धन्यवाद करता हूं


 इसी के साथ मुझे दीजिए इजाजत मिलते हैं किसी नए जीवन परिचय के साथ आपके इसी ब्लॉग पर आपका सवाई सिंह राजपुरोहित मीडिया प्रभारी सुगना फाउंडेशन 
व्हाट्सएप नंबर 9286464911
 नोट:- आप भी भेज सकते हैं मुझे अपना जीवन परिचय 

 sponsor by Dr Rajpurohit Enterprise 


3 comments:

  1. जय श्री आत्मान्दजी सरस्वती जी महाराज को कोठी कोठी नमन् करते हैं

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  2. महान तपस्वी राजपुरोहित समाज के शिक्षा सारथी गुरुदेव अनंत विभूषित ब्रह्मऋषि 1008 श्री आत्मानंदजी सरस्वती जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करता हूं।
    आप श्री का पूरे समाज पर महान उपकार है।आप श्री के आशीर्वाद से ही आज राजपुरोहित समाज समृद्ध और विकसित हुआ है।आज समाज के बन्धु विभिन्न विभागों को प्रगति कर रहे है।
    आपका आशीर्वाद यूहीं राजपुरोहित समाज पर बना रहे जिससे राजपुरोहित समाज राजनैतिक,सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से समृद्ध होता रहे और राष्ट्र सेवा में अग्रणी रहे।
    एक बार पुनः श्री चरणों में प्रणाम व नमन।
    आपका दास कृष्ण राजपुरोहित सरपंच ग्राम पंचायत सूरजवाडा (रानीवाड़ा),जालोर।मो.9649963335/7023763335

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  3. महान तपस्वी राजपुरोहित समाज के शिक्षा सारथी गुरुदेव अनंत विभूषित ब्रह्मऋषि 1008 श्री आत्मानंदजी सरस्वती जी के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करता हूं।
    आप श्री का पूरे समाज पर महान उपकार है।आप श्री के आशीर्वाद से ही आज राजपुरोहित समाज समृद्ध और विकसित हुआ है।आज समाज के बन्धु विभिन्न विभागों को प्रगति कर रहे है।
    आपका आशीर्वाद यूहीं राजपुरोहित समाज पर बना रहे जिससे राजपुरोहित समाज राजनैतिक,सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से समृद्ध होता रहे और राष्ट्र सेवा में अग्रणी रहे।
    एक बार पुनः श्री चरणों में प्रणाम व नमन।
    आपका दास कृष्ण राजपुरोहित सरपंच ग्राम पंचायत सूरजवाडा (रानीवाड़ा),जालोर।मो.9649963335/7023763335

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